शनिवार, 6 अगस्त 2011

वातायन-अगस्त,२०११


हम और हमारा समय
रूपसिंह चन्देल

अण्णा हजारे एक बार पुनः संघर्ष के मार्ग पर चलने के लिए विवश हैं. उन्होंने घोषणा की है कि १६ अगस्त,२०११ से वह दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर आमरण अनशन प्रारंभ करेंगे. उनके इस अभियान को रोकने के लिए सरकार ने अपने दांव-पेंच चलाने प्रारंभ कर दिए हैं, जिसकी पहली कड़ी के रूप में जन्तर-मन्तर तथा उसके आस-पास के क्षेत्र में धारा १४४ लगा दी गई है. लेकिन अण्णा अनशन के लिए कटिबद्ध हैं. उनके अनुसार वह ऎसा करना नहीं चाहते लेकिन उन्हें ऎसा करने के लिए विवश कर दिया गया है. ऎसा सरकार ने ’सिविल सोसाइटी’ द्वारा प्रस्तुत ’जन लोकपाल बिल’ को अस्वीकार करके किया है. जनता वास्तव में किस बिल के पक्ष में है उसके लिए अण्णा टीम ने दिल्ली, मुम्बई,नागपुर आदि कुछ शहरों में सर्वेक्षण किए. ८१ प्रतिशत से लेकर ९८ प्रतिशत जनता ने ’जन लोकपाल बिल’ का समर्थन किया. चांदनी चौक, जो ’जन लोकपाल बिल’ के मुखर विरोधी मानव संसाधन मंत्री श्री कपिल सिब्बल जी का चुनाव क्षेत्र है, की ८५ प्रतिशत जनता ने ’जन लोकपाल बिल’ का समर्थन किया. भले ही सरकार के मंत्री, प्रवक्ता और पदाधिकारी इस सर्वेक्षण का उपहास कर रहे हों और अण्णा टीम को २०१४ में लोकसभा चुनाव लड़ने की खुली चुनौती दे रहे हों, लेकिन इन सर्वेक्षणों से वे विचलित अवश्य हैं. वे यह भी जानते हैं कि चुनाव जीतने के लिए जिन हथकंडों की आवश्यकता होती है अण्णा टीम उसमें सक्षम नहीं है और न ’सिविल सोसाइटी’ के किसी सदस्य के पास इतना धन है जितना चुनाव लड़ने और जीतने के लिए अपेक्षित होता है. यदि सरकार को ’सिविल सोसाइटी’ के सर्वेक्षण पर भरोसा नहीं है तो वह किसी निष्पक्ष एजेंसी से स्वयं सर्वेक्षण करवा कर देख ले, वास्तविकता सामने आ जाएगी.
देश भ्रष्टाचार की गिरफ्त में इस कदर आ चुका है कि यदि उस पर अब अंकुश नहीं लगाया जा सका तो देश का विकास हवा में ही झूलता रह जाएगा और हम अशक्त आंखें फाड़कर देखते रहेंगे और पड़ोसी देश अपनी मनमानी करते हुए हमारे जन-धन को भयंकर क्षति पहुंचाते रहेंगे. जिस प्रकार चीन इस देश को घेरने के प्रयत्न कर रहा है वह चिन्ता का विषय है, लेकिन हमारे कर्णधार इस प्रयास में व्यस्त हैं कि काले धन के अपराधियों को कैसे सुरक्षा दी जा सके. सरकारी लोकपाल बिल का खतरनाक पक्ष यह है कि किसी भ्रष्टाचारी के विरुद्ध शिकायत करने वाला व्यक्ति यदि अपनी बात सिद्ध नहीं कर पाया तो उसके विरुद्ध इतनी कठोर कार्यवाई होगी कि दूसरा शिकायत करने का साहस नहीं कर पाएगा. और पूरा देश जानता है कि बड़े अपराधियों के विरुद्ध कुछ भी सिद्ध करना सहज नहीं है. दूसरे शब्दों में प्रस्तुत होने वाले लोकपाल बिल के आधार पर भ्रष्टाचार समाप्त होना तो दूर बढ़ने की संभावना ही अधिक होगी. ऎसी स्थिति में देश के सभी जागरूक नागरिकों को अण्णा हजारे के समर्थन में खुलकर सामने आना चाहिए.
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वातायन के इस अंक में ’पुस्तक चर्चा’ के अंतर्गत भावना प्रकाशन द्वारा सद्यः प्रकाशित मेरे कहानी संग्रह ’साठ कहानियां’ की संक्षिप्त चर्चा, मेरे द्वारा अनूदित संस्मरण पुस्तक ’लियो तोल्स्तोय का अंतरंग संसार’ से उनकी पत्नी सोफिया अन्द्रेएव्ना की डायरी के उन अंशों की पहली किस्त जो उन्होंने विशेष रूप से लियो को केन्द्र में रखकर लिखे थे. इसके अतिरिक्त चर्चित कवयित्री विनीता जोशी की दो कविताएं प्रकाशित हैं. आशा है अंक आपको पसंद आएगा.
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साठ कहानियां – रूपसिंह चन्देल

वरिष्ठ कथाकार रूपसिंह चन्देल की कहानियां हाशिए पर पड़े लोगों के जीवन को गहनता से चित्रित करती हैं. कुछ अपवादों को छोड़कर उनके कथाकार ने शोषित, दलित, दमित, और निम्न-मध्यवर्गीय चरित्रों को आधार बनाया है. वे ऎसे वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं जिसे आम आदमी कहा जाता है. चंदेल का अनुभव संसार व्यापक है. यही कारण है कि जिस सशक्तता से उन्होंने ग्राम्य जीवन को व्याख्यायित किया है उसी सजीवता का परिचय उनकी महानगरीय जीवन पर आधारित कहानियों में हमें प्राप्त होता है. लुप्तप्रायः किस्सागोई शैली और भाषा की सहजता उनकी कहानियों की विशेषता है. यही विशेषता समकालीन कथा-साहित्य में उन्हें अलग पहचान प्रदान करती है.

ग्रामीण वैषम्य, अशिक्षा, सामंती अवशेषों की नृशंसता, संबंधों की अर्थहीनता के साथ लोक-जीवन की विशेषताओं का चित्रण जहां उनकी कहानियों में प्रात होता है, वहीं महानगरीय संत्रास, भ्रष्टाचार, राजनैतिक पतन, पाखंड, असंतोष, छल-छद्म, अफसरशाही आदि को वास्तिविकता के साथ इन कहानियों में अभिव्यक्त किया गया है. किसी हद तक क्रूर हो चुके वर्तमान सामाजिक स्थितियों तथा टूटने-बिखरने के कगार पर पहुंचे पारिवारिक जीवन को जिस सशक्तता के साथ ये कहानियां प्रस्तुत करती हैं, वह कथाकार के सामाजिक सरोकारों, सूक्ष्म पर्यवेक्षण दृष्टि और अनुभवों की व्यापकता का परिचायक है.
चंदेल का भाषा-शिल्प सहज है. सायास चमत्कृत करने का प्रयास वहां नहीं है. कहानियों की एक विशिष्टता यह भी है कि लेखक स्वयं को कहानियों में आरोपित नहीं करते--- वे स्वतः स्फूर्त हैं.

(प्रकाशक)
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‘साठ कहानियां’ – रूपसिंह चन्देल
पृ.५७६ , मू. ६९५/-
*भावना प्रकाशन
109-A, पटपड़गंज, दिल्ली-११००९१
फोन: -011-22756734
011-22754663

7 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Ashok andrey ने कहा…
bharashtachar par kendrit priya chandel tumhara aalekh pada. aaj har bhartiya is kalankit shabd se trast hai aur veh isse mukti chahta hai isiliye veh har us pristhiti se judna chahta hai jo use mukti dila sake chahe anna jee hon ya phir koi aur.tumne to data ke sath jis tarah vayakhya ki hai veh kabile tariph baki to samay bataega ki hum kab isse mukti paaenge.
३ अगस्त २०११ ७:०३ पूर्वाह्न

बेनामी ने कहा…

Ashok andrey ने कहा…
bharashtachar par kendrit priya chandel tumhara aalekh pada. aaj har bhartiya is kalankit shabd se trast hai aur veh isse mukti chahta hai isiliye veh har us pristhiti se judna chahta hai jo use mukti dila sake chahe anna jee hon ya phir koi aur.tumne to data ke sath jis tarah vayakhya ki hai veh kabile tariph baki to samay bataega ki hum kab isse mukti paaenge.
३ अगस्त २०११ ७:०३ पूर्वाह्न

बेनामी ने कहा…

ashok andrey ने कहा…
तुम्हारे द्वारा प्रस्तुत सोफिया अन्द्रेवना की डायरी के अंश पड़ते हुए लगा कि मै एक अलग तरह के अनुभव से गुजर रहा हूँ. इसके साथ ही लेव तोलस्तोय को भी समझने में आसानी हुई तुम्हारा यह प्रयास हम तक इस डायरी के अंश पहुँचाने के लिए, आभार.
३ अगस्त २०११ ७:२४ पूर्वाह्न

बेनामी ने कहा…

PRAN SHARMA ने कहा…
BHRASHTACHAAR SE SABHEE TANG HAIN
LEKIN HAR KOEE ISKE GIRAFT MEIN HAI .
LOG RISHWAT DETE HAIN TO LETE BHEE
HAIN . MEREE DOST KAA KAHNAA THAA-
` RISHWAT DENE - LENE SE GHAR MAZE
MEIN CHAL RAHAA HAI BHAI .` YAH
HAI HAMAAREE SOCH AUR FITRAT . DESH
MEIN BHRASHTACHAR MITNAA MUSHKIL
HAI . ISKAA ROG AB TO RAJNITI MEIN
HEE NAHIN , DHARM AUR SAHITYA MEIN
BHEE FAIL GAYAA HAI , VIKRAAL ROOP
SE . BADEE-BADEE GAADIYON MEIN
BAITH KAR BHRASHTACHAAR KE KHILAAF
LADAA NAHIN JAA SAKTA HAI . KISEE
SHAAYAR NE KITNA SATEEK KAHAA HAI -

HAR SHAAKH PE ULLOO BAUTHE HAIN
ANJAAM- E - GULISTAAN KYA HOGAA
३ अगस्त २०११ ८:५५ पूर्वाह्न

Udan Tashtari ने कहा…

जरुरी आह्वाहन: सभी को साथ देना होगा इस बीमारी को मिटाने के लिए..अच्छा आलेख.

सुभाष नीरव ने कहा…

देर से ही… पर बहुत बहुत बधाई…इस किताब की…

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…






नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार